हजरत सय्यद अब्दुल कादिर जीलानी की करामत
हजरत अबु सईद का बयान है कि उनकी क्वारी बेटी फातमा एक रोज अचानक मकान की छत पे से गायब हो गई काफी खोज लगाया मगर उसके बारे मे कोई पता ना चल सका चुनानचे मैं हर तरफ से मायूस होकर शैख़ अब्दुल कादिर की खिदमत मे हाजिर हुआ उन्होंने फरमाया कि कुछ दूर पर कर्ख का जंगल है आज रात तुम वहाँ चले जाना और पांचवे टीले के करीब जमीन पर अपने गिर्द एक दायरा खींच कर वहाँ बैठ जाना जिस वक़्त तुम दायरा खींचो तो ये अल्फाज पढ़ना बिस्मिल्लाही फी अब्दुल कादिर रजि अल्लाहू तअला अन्ह जब काफी रात गुजर जायेगी तब जिनों की एक जमात तुम्हारे पास आएगी
जिनकी सूरते बहुत खौफ नाक और ड्रावनी होंगी मगर तुम्हें हिम्मत से काम लेना होगा फिर अगली सुबह जिनों का सरदार एक लश्कर के साथ तुम्हारे पास आएगा और वोह तुमसे वहाँ आने का मकसद पूछेगा तुम जिनों के सरदार से कह देना कि मुझे अब्दुल कादिर ने भेजा है और उसके साथ ही तुम उसके सामने अपनी बेटी का वाक़्या बयान कर देना अबु सईद का बयान है कि जब मैं शैख़ साहब की हिदायत पर अमल करते हुऐ पांचवे टीले के पास दायरा मे बैठ गाय तो खौफ नाक किसिम के चेहरे चारो तरफ से मेरी जानिब बढ़ने लगे,
मगर उन मेसे किसी ने भी दायरा के अंदर आने की जुर्रत ना की पूरी रात डरावने चहरे जमातो की सूरत मे दायरे के करीब आते रहे और अलग अलग तरीको से मुझे डराते रहे मगर शैख़ की हिदायत के मुताबिक मैं हिम्मत करके डटा रहा फिर अगली सुबह जिनों का सरदार खच्चर पर सवार होकर मेरे पास आया और मुझसे मेरे आने की वजा दरियाफ्ट की मैंने उसे बता दिया कि मुझे शैख़ अब्दुल कादिर ने उसके पास भेजा है मैंने सरदार को अपनी लड़की के गायब होने का वाक़्या बता दिया इसपर सरदार ने अपनी साथियो से मुख़ातिब होते हुऐ कहा बोलो ये काम किसका है
मगर सबने अपनी ला इलमी का इजहार किया जिसपर सरदार ने उन्हें छान बीन के लिये रवाना करदिया चन्द लम्हों के बाद वोह एक जिन को पकड़ लाये उनके साथ मेरी गुम शुदा लड़की फातिमा भी थी मुझे उन जिनों की जुबानी मालूम हुआ कि मेरी बच्ची को उठाने वाले जिन का ताल्लुक खतन के इलाके से है सरदार ने उससे कहा अरे बदबख्त तूने क़ुतुब के रकाबी के नीचे से चोरी करके हम सबको नादम कर दिया है जिस पर जिन ने जवाब दिया सरदार मुझे ये लड़की इतनी अच्छी लगी कि मैं उसे उठाने पर मजबूर हो गया मजीद अपनी सफाई मे मेरे पास कहने को कुछ नहीं है अबु सईद का बयान है कि सरदार ने मेरी बेटी को मेरे हवाले कर दिया और उस जिन का गर्दन उड़ा देने का हुक्म दिया फिर सरदार मुझसे मुख़ातिब हुआ शैख़ से मेरी तरफ से माफी मांग कर अर्ज करना कि मैं इस वाक़्या के बारे मे बे खबर था जिनों के सरदार ने शैख़ के बारे मे बताया कि वोह उनके इन्तेहाई फरमाबदार हैँ कियोकि अल्लाह ताला ने उन्हें जिन वानिस पर गलबा दिया है कियोकि वोह सब के शैख़ और दस्तगीर हैँ,,,
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Thanks for reading: हजरत सय्यद अब्दुल कादिर जीलानी की करामत, Sorry, my Hindi is bad:)