आपके दर पे लोगों की उम्मीदें और मन्नतें पूरी होती हैं
हज़रत शेख मुहम्मद फय्याज से मनकूल है कि कुतकुल वक्त हज़रत राही सैय्यद नूर मोहम्मद मानकपूरी के घर में कोई औलाद नहीं होती थी। हज़ार तदबीर करने के बाद भी कोई औलाद पैदा न हुई। आपकी बीवी ने यह मन्नत मानी थी कि या गाज़ी सरकार अगर आप मेरे लिए दुआ फरमा दें कि अल्लाह तअला मुझे कोई औलाद अता फरमा दे तो मैं उसे लेकर आपके दर पे हाज़ी दूंगी। अल्लाह तआला ने उन्हें एक मुबारक फरज़न्द अता फरमाया अब मन्नत पूरी करने की फिक हुई मगर गरीबी की वजह से मन्नत में ताखीर होती गई इसलिए राही सैय्यद नूर मोहम्मद साहब रंजीदा और गमजदा रहते एक दिन सैय्यद साहब अपने हुजरे में इबादत में मशगूल थे कि हज़रत गाज़ी अलैहिर्रहमां अपनी नूरानी सूरत में तशरीफ लाए और फरमाया कि अपने बेटे को मेरे पास लाओ अब तकलीफ उठाकर बहराइच जाने की जरूरत नहीं है तुम्हारी मन्नत यहीं पूरी हो जाएगी। सैय्यद नूर मोहम्मद की खुशी की इन्तिहा न रही अपने नूरे नज़र सैय्यद मुबारक को लाकर कदमों में बाल दिया हज़रत गाज़ी ने उसके सर पर मुहब्बत से हाथ फेरा और दुआएँ दी और बाहर तशरीफ लाए। बाहर एक मर्द फकीर नंगे सर नंगे पैर घोड़ी पकड़े खड़ा था। सैय्यद नूर मोहम्मद ने सवाल किया कि हुजूर यह कौन बुजुर्ग हैं आपने फरमाया यह सिकन्दर दीवाना है ज़िन्दगी में भी हमारे साथ थे और शहादत के बाद भी साथ हैं। फिर आप घोड़ी पर सवार होकर आंखों से ओझल हो गए।
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Thanks for reading: गाजी के दर पे लोगों की उम्मीदें मन्नते पूरी होती हैँ , Sorry, my Hindi is bad:)