मसूद गाजी की तालीम व तरबियत Masood Gazi Ki Talim Tarbiyat(शिक्षा-दीक्षा)
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सुल्तान शोहदा हजरत सैय्यद सालार मसऊद गाजी रह० की उम्र जब चार साल चार माह चार दिन की हुई आपके पिता जिलकादा चार सौ नी हिजरी यानि 1018 ई० में उस समय के सबसे महान व बुद्धिमान उस्ताद सैय्यद इब्राहीम बारह हजारी साहब की खिदमत में लाये उन्होंने अपने इस लायक शागिर्द की शपकत व मुहब्बत के साथ बिसमिल्लाह करायी। यानि पढ़ाना लिखाना शुरू किया। पिता ने इस खुशी में उस्तादे मुहतरम को 4 घोड़े और जरो जवाहर बतौर नजराना पेश किया। और खूब खैरात बांटी गरीबों, फकीरों और मिस्कीनों को मालामाल कर दिया। इस बच्चे को देख कर उस्ताद यह अच्छी तरह जान गये थे कि यह कोई मामूली बच्चा नहीं बल्कि यही बच्चा आगे चलकर आने वाली हिंदुस्तान की तकदीर लिखेगा। उन्होंने खूब मेहनत करके बड़ी मोहब्बत व शपकत के साथ उसे हर तरह के उलूम से आरास्ता किया।
उरूजे आदमे खाकी से अन्जुम सहमे जाते हैं।
कि यह टूटा हुआ तारा मह-कामिल न बन जाये ।।
अल्लाह रब्बुल इज्जत ने हजरत गाजी अलैहिरहमा को इल्मे लदुन्नी अता फरमाया था और विलायत की नेयमत से भी सरफराज फरमाया था। केवल 9 साल की उम्र में तमाम जाहिरी व बातिनी उलूम से आरास्ता होकर हद-ए-कमाल को पहुंच चुके थे। अर्थात् तमाम विद्या में दक्षता प्राप्त कर ली थी।
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Masood Gazi Ki Talim Tarbiyat
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Thanks for reading: मसूद गाजी की तालीम व तरबियत Masood Gazi Ki Talim Tarbiyat, Sorry, my Hindi is bad:)