गाजी सरकार के जौके इबादत Gazi Sarkar Ke Jauke Ibadat
Poem(ईश्वर पूजा में रूचि और दिनचर्या)
हजरत सैय्यद सालार मसऊद गाजी रह० बचपन से ही बड़े नेक धार्मिक विचारों वाले और एक ईश्वर की पूजा पाठ में आस्था रखते थे। उम्र बढ़ने के साथ साथ आप की यह आस्था बढ़ती गयी। जब आप 10 साल की उम्र को पहुंचे तो उसमे और बढ़ोत्तरी होती गयी। आप पूरी पूरी रात इबादत में लगे रहते थे। और दिन में तिलावते कुरआन पाक अल्ला का जिक्र और दुरूद शरीफ पढ़ा करते थे। नमाजे फज्र के बाद दिन निकलने के बाद नमाजे चाश्त भी पढ़ते थे। इन कामों से फुरसत के बाद वह दिवाने आम में तशरीफ लाते और धर्मगुरूओं, दर्वेशों और बुजुर्गों से मुलाकातें करते और उनकी बातें सुनते, फिर सबके साथ बैठकर दोपहर का भोजन करते और दोपहर के वक्त महल सराह में जाकर थोड़ी देर आराम करते। जोहर की नमाज के बाद दिवाने आम में तशरीफ लाते, अफसरों, अधिकारियों से मुलाकात करते हम उम्र शहजादों, अमीर जादों के साथ सैर व शिकार के लिए निकल जाते। नेता बाजी, तीरनदाजी चौगान में शाम तक दिल बहलाते युद्ध के नये नये तरीके सीखते और महारत हासिल करते नये तरीके से जिहाद करने का अभ्यास करते।
साहिबे मिराते मसऊदी लिखते हैं-
रजब सालार हठीला जिनका नाम अजब सालार गाजी था, सतरे मुअल्ला के साथ गजनी से अजमेर आये थे। उस समय उनकी आयु 22 साल से ज्यादा थी। सैय्यद सालार मसऊद गाजी और आपके हम उम्र, उमरा, व बादशाहों के लड़के जमा होकर शिकार करते, घुड़सवारी, तीरन्दाजी, नेजाबाजी का हुनर उनसे सीखते थे।
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Gazi Sarkar Ke Jauke Ibadat
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Thanks for reading: गाजी सरकार के जौके इबादत Gazi Sarkar Ke Jauke Ibadat, Sorry, my Hindi is bad:)