सैय्यद सालार मसऊद गाजी का जन्म Gazi Sarkar Ka Janm
जब हजतर सतरे मोअल्ला अजमेर पहुंची तो हजरत सालार शाहू ने वह सेब जो हजरत खिज्र अलैहिस्सलाम के हुक्म से अपने पास सुरक्षित रखा था उसका आधा स्वयं खाया और आधा अपनी पत्नी सतरे मोअल्ला को खिलाया! उसकी बरकत जाहिर हुई और उनके यहां एक चांद सा बच्चा 21 रजब 405 हिजरी बरोज इतवार सुबह के समय पैदा हुआ आप बहुत हसीन व जमील थे जनाब अकबर वारसी ने सन-ए-विलादत यूं नज्म किया है।
हुए पैदा जो गाजी मसऊद जुल्मतों जहल हो गयी काफूर अकबर पारसी पे हैं इल्हाम लिख विलादत का साल-ए-मतला नूर (405हिजरी)
आपके जन्म के बारे में पाक रूहें और नजूमी बहुत पहले से भविष्याणी करते रहे! हजरत मोहम्मद साहब का सा जमाल य कमाल और चौथे खलीफा हजरत अली रजि-अल्लाह तआला जैसा जाहो जलाल आपमें दिखाई दे रहा था!
सर त म कदम हैबत ए अब्बास अलमदार
सूरत सा आया दबदबा ए हयदरे कर्रार
हजरत सालार शाहू ने अपने बेटे के जन्म की खुशी में तीन दिन तक जश्न मनाया। यतीमों फकीरों मिस्कीनों में धन दौलत बांटा जरो जवाहर बतौर खैरात तकसीम किया और अपनी सेना को भी खूब इनाम व इकराम से नवाजा बेटे की खुशखबरी सुल्तान को सुनाने के लिए बहुत से हिन्दुस्तानी तोहफे देकर कुछ कासिदों को सुलतान महमूद के पास भेजा। सुलतान बहुत खुश हुआ कासिदों को इनाम व इकराम अता किया और एक विशेष शाही फरमान पर हस्ताक्षर करके रियासते हिन्द बनाम सालार मसऊद मुबारक हो साथ ही यह हुक्म भी भेजा कि कन्नौज के राजा को समझा बुझाकर अपने आधीन कर लो और अगर वह तुम्हारी आधीनता स्वीकार न करें तो खबर करो! कन्नौज का राजा राय अजय पाल बहुत घमंडी और निरांकुश था! हजरत सालार शाहू के बार बार समझाने पर भी आधीनता स्वीकार न की उल्टे उसकी सर्कशी बढ़ती चली गयी! अजमेर पर सालार शाहू के अधिकार के बाद वहां के गैर मुस्लिम सरदार कन्नौज भाग गये और राजा कन्नौज के उक्सावे में आकर सुलतान के सीमावर्ती इलाकों में हमला करते रहे। राजा कन्नौज को सूलतान के विरूद्ध भडकाते रहते आखिर कार सरकार शाहू ने राय अजय पाल से तंग आकर सुलतान को सारे हालात से आगाह किया,
भांजे का दीदार Bhanje Ka Didar E Gazi
सुलतान को जब यह सूचना मिली कि कन्नौज का राजा आधीनता स्वीकार करने के बजाय सरकशी पर आमादा है तो सुलतान उसे कुचलने के लिए बहादुर सिपाहियों का एक लशकर लेकर अजमेर आया अपने प्यारे भांजे सैय्यद सालार मसऊद गाजी को देखा और बेहद खुश हुआ सैय्यद सालार मसऊद गाजी जाहिरी बातिनी कमाल व जमाल और अशरफुल मखलूकात की जीती जागती तस्वीर थे। सुलतान उसे देखते ही समझ गया कि मेरा यह भांजा सूरज और चांद बनकर चमकेगा और इसी मर्द ए मुजाहिद के हाथों हिन्द में इस्लाम की शमां रौशन होगी। इसलिए जब तक अजमेर में कयाम रहा प्यारे भांजे से दिल बहलाता और उसे निगाहों से ओझल न होने देता। अजमेर के किले में कुछ दिन आराम के बाद सुलतान अपने जंगी मन्सूबों पर अमल करने की गरज से सेनाए तैयार की सालार शाहू व मुजफ्फर खां को सेनापति बनाकर कन्नौज पर चढ़ाई की तैयारी कर दी पहले मथुरा पहुंचा और उसके चारों तरफ आस पास जहां जहां भी बागियों का पता चला उनको कुचलते हुए 406 हिजरी अर्थात 1015 ई० में राजा कन्नौज के सर पर पहुंचा राजा मुकाबले की ताब न लाकर बगैर लडे भिडे फरार हो गया इसी हमले में सुल्तान ने और भी कई किले जीत लिए कन्नौज को जीत कर सालार शाहू को अपना नायब बनाकर हिन्दुस्तान के जीते हुए तमाम इलाकों का इन्तजाम शाहू के सुपुर्द कर दिया और खुद गजनी लौट गया। सालार शाहू ने अजमेर पहुंचकर जीते हुए तमाम इलाकों पर अधिकार बनाये रखने के लिए और प्रजा की देखभाल के लिए अनेक अधिकारी नियुक्त किये और स्वयं अजमेर के किले में जीते हुए इलाकों का इन्तजाम संभाला,
Hazrat Sayyad Salar Masood Gazi Sarkar Ka Janm
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Thanks for reading: सैय्यद सालार मसऊद गाजी का जन्म Gazi Sarkar Ka Janm, Sorry, my Hindi is bad:)