एक औलिया की वसाल का वाक़्या Ek Auliya Ki Wsal Ka Waqya
Poemहजरत फतेह मूसली एक रोज आप अपने दरूद वजाइफ खतम करके मस्जिद से निकल रहे थे कि एक नौजवान आपके पास आया और बोला मैं बहुत दूर से आया हूँ मुझे अल्लाह ताला ने हुक्म दिया था कि आपकी जियारत करुँ आपने फरमाया आप मेरे मेहमान है मुझे बताये मैं आपकी किया खिदमत करू उस नौजवान ने अर्ज किया मुझे किसी जाहरी खिदमत की जरुरत नहीं मैंने बाजार से रोटी और कबाब खाये हैँ मेरा रहाइश का इन्तेजाम शहर से बाहर एक शराये मे है मगर मैं जो खिदमत आपके शुपुर्द करना चाहता हूँ वोह ये है कि मुझे अल्लाह ताला ने बताया कि मेरा वक़्त करीब आचुका है और कल दुपहर तक मुझे खुदा की तरफ से बुलावा आजायेगा मैं ये चाहता हूँ कि जब मैं वफ़ात पा जाऊ तो आप मेरी तजहेज वा तकफीन अपने हाथों से करें आपने ऐसा करने का वादा कर लिया अगले रोज आप दरियाये दजला के किनारे वाके शराय मे पहुचे तो आपने देखा कि वहाँ लोगों का मजमा लगा हुआ है आपने लोगों से पूछा किया बात है यहाँ लोग कियों इकठ्ठे हुऐ हैँ लोगों ने बताया कि एक परदेशी यहाँ शराय मे ठहरा हुआ था इन्तेकाल कर गया है आपने हुजूम से पूछा ये कौन था? लोगों ने कहा वोह जब से यहाँ था बिल्कुल अलग थलग रहता था और किसी से कोई बात नहीं करता था इसलिये इसके मुतालिक हम लोग कुछ नहीं जानते हजरत फतेह मूसली ने फरमाया इसके मुतालिक मैं जानता हूँ ये एक आरिफ बिल्लाह था इसकी तजहेज वा तकफीन का मुझे हुक्म है इसके बाद आपने अपने हाथों से उस शख्स को ग़ुस्ल दिया और उसे दफन किया उसी रात खुवाब मे उस नौजवान ने आपसे मुलाकात की और बताया कि आपने मुझपर जो एहसान किया है मैं उसका शुक्र गुजार हूँ और इसका बदला मैं आपको इस तरह दूंगा कि जब मुझे कुर्बे खुदावन्दी हासिल हो गया तो मैं आपको भी फराहम कर दूंगा,
Poem
Hindi Stories
Islamic stories in hindi
islamic inspirational quotes
islamic motivational quotes
islamic Motivations
hort islamic stories
Auliya stories
Rate This Article
Thanks for reading: एक औलिया की वसाल का वाक़्या Ek Auliya Ki Wsal Ka Waqya, Sorry, my Hindi is bad:)